
भारत सरकार की ‘आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पनामा सिटी पहुंचा है। इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं। इस यात्रा का मकसद दुनिया को यह बताना है कि भारत अब आतंकी हमलों पर मौन नहीं रहेगा।
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शशि थरूर ने दिया भावुक बयान
पनामा में आयोजित एक सार्वजनिक बैठक में शशि थरूर ने हालिया ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए कहा,“हमारे प्रधानमंत्री ने साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों ज़रूरी था। इन आतंकवादियों ने महिलाओं को उनके पतियों, पिताओं और विवाहित जीवन से अलग कर उनके माथे का सिंदूर मिटा दिया। भारत ने फैसला किया कि अब हमारे महिलाओं के सिंदूर का रंग, हत्यारों के खून से मेल खाएगा।”
उनके इस बयान ने वहां मौजूद अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को झकझोर दिया और भारत के रुख को दृढ़ता से प्रस्तुत किया।
पहलगाम हमला: ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए एक चरमपंथी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी। हमले में कई महिलाएं विधवा हो गईं और बच्चों ने अपने पिता को खो दिया। भारत सरकार ने इस घटना को राष्ट्रीय आघात माना और जवाबी रणनीति के तहत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की नई छवि
यह प्रतिनिधिमंडल इस समय वैश्विक समुदाय को यह बताने में जुटा है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ तुष्टिकरण या चुप्पी नहीं अपनाएगा। ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति केवल नारे तक सीमित नहीं, बल्कि कार्यवाही और कूटनीति दोनों में दिखाई देगी।
नारी सुरक्षा को भारत की विदेश नीति से जोड़ा गया
शशि थरूर के वक्तव्य ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत अब महिलाओं की सुरक्षा को राष्ट्रीय गौरव और विदेश नीति का हिस्सा बना रहा है। इस तरह, भारत आतंकवाद की कीमत अपने सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों से चुका रहा है और इसका सख्त जवाब भी दे रहा है।
शब्दों से नहीं, कर्म से आतंकवाद का जवाब
भारत ने पनामा में एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह अब आतंकवादियों के डर के साये में नहीं जिएगा। चाहे हमला कश्मीर में हो या दुनिया के किसी भी कोने में, भारत की नीति स्पष्ट है — आतंक के ख़िलाफ़ नर्मी नहीं, निर्णायक कार्रवाई।
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